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Friday, June 4, 2010

ध्र्म्परिवार्त्न की समस्या आतंकवाद से gambhir

ध्र्म्परिवार्त्न की समस्या आतंकवाद से गंभीर है .क्यों की आतंकवाद दहशत पैदा करता है देशवासियों में देशभक्ति का जनून कम नही करता .परन्तु ध्र्म्परिवार्त्न इंसान की सोच को बदल कर रख देता है जिससे उसकी मानसिकता देश को नुक्सान पहुचानेवाली हो जाती है . आतंकवाद किसी एक जगह हमला करता है लेकिन ध्र्मान्तर्ण देश के हर कोने प़र . आज देश धर्म्परिवार्त्न की समस्या से जूझ रहा है पैसो के बल प़र या डरा धमकाकर गरीब लोगो को इसाई अथवा मुस्लिम बनाया जा रहा है . जिससे देश में अलगावाद की स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावना बनी रहती है . रूस भी इसी समस्या से पीड़ित है और रूस के भी भारत की ही तरह टुकड़े किये गये है . भारत की सरकारे इसाई मिशनरियों और कट्टर मुल्लाओ प़र नियन्त्रण कसने की जगह उन्हें संरक्षण दे रही है . जिसके चलते अधिक से अधिक गरीबो का ध्र्मान्तर्ण कराया जा रहा है . एक तरफ भारत को विकसित देश बनाने की बाते हो रही है विकास की बाते कर देश को बरगलाया जा रहा है दूसरी और बंगलादेशी घुसपैठियों , इसाई मशीनरियो को देश में कुछ भी करने का लाइसेंस दिया जा रहा है . काश्मीर में जो कुछ होता रहता है वह सरकार की गलत नीतियों का ही नतीजा है . तरिपूरा , आन्ध्र ,  झारखंड  ,उड़ीसा जैसे राज्यों में इसाई मशीनरियो और बंगलादेशी घुसपैठियों की जनसंख्या बढ़ रही है . परतु सरकार इतिहास से सीख न लेकर फिर से भारत में एसे लोगो को बढावा दे रही है जिनका मकसद भारत को तोड़ना है .
श्री एवं श्रीमती वॉट्स की मेहनत और “राष्ट्रीय कार्य” का फ़ल उन्हें दिखाई भी देने लगा है, क्योंकि उत्तर-पूर्व के राज्यों मिजोरम, नागालैण्ड और मणिपुर में पिछले 25 वर्षों में ईसाई जनसंख्या में 200% का अभूतपूर्व उछाल आया है। त्रिपुरा जैसे प्रदेश में जहाँ आज़ादी के समय एक भी ईसाई नहीं था, 60 साल में एक लाख बीस हजार हो गये हैं, (हालांकि त्रिपुरा में कई सालों से वामपंथी शासन है, लेकिन इससे चर्च की गतिविधि पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता, क्योंकि वामपंथियों के अनुसार सिर्फ़ “हिन्दू धर्म” ही दुश्मनी रखने योग्य है, बाकी के धर्म तो उनके परम दोस्त हैं) इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश में सन् 1961 की जनगणना में सिर्फ़ 1710 ईसाई थे जो अब बढ़कर एक लाख के आसपास हो गये हैं तथा चर्चों की संख्या भी 780 हो गई है।

Sunday, May 30, 2010

किसानो की स्थिति बदतर हो रही है

भारत में किसान को धरतिपूत्र कहा जाता है किसान की मेहनत से ही देश में अनाज पैदा होता है   .लेकिन आम आदमी यह नही जानता   इस देश में कितने किसान हर साल आत्महत्या कर रहे हैं. पिछले बारह सालों में दो  लाख किसानो ने आत्महत्या की .राष्ट्रीय अपराध लेखा ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार  १९९७ से अब तक १,९९,१३२किसानों आत्महत्या कर चुके है .सन 2008 में 16,196 किसानों ने  . पत्रकार पी साईनाथ  ‘द हिंदू’ में प्रकाशित अपने लेख में  खुलासा करते  है कि 2008 में 5  राज्यों-महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 10,797 किसान  आत्महत्या कर चुके है  ।२००८   में देश भर से जिन 16,196 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, उसका 66.7 प्रतिशत हिस्सा इन राज्यों से है . इसमें  महाराष्ट्र सबसे आगे है, महाराष्ट्रा में  3,802 किसान मोत को गला लगा चुके है हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा उन्नीस सो सतानवे  से अब तक ४१,४०१ किसानों ने आत्महत्याए कर चुके है .

यह हालात भारत के उस आदमी के है जिसे धरती पुत्र कहा गया है . किसान जो देश के लिये अन्न पैदा करता  है वह आज आत्महत्या करने को मजबूर  है . आजादी के ६३ साल पश्चात हम आज भी गरीबी , भुखमरी से लड़ रहे है .यह देश की अंदरूनी हकीकत है जो शर्मनाक भी है और दर्दनाक भी .परन्तु इस हालात प़र किसकी नजर है मीडिया की भारत सरकार की . नही किसी की भी नही है क्या मीडिया भारत की जनता को किसानो का दर्द दिखा रहा है . सरकारों के क्या कहने सरकार का ध्यान आम आदमी प़र होता तो स्थिति यह कतई  नही होती .



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Saturday, May 29, 2010

khap panchayt

चंडीगढ़। उद्योगपति और कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल ने हरियाणा खाप पंचायतों द्वारा हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करके सगोत्रीय शादी पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया।

10 मई 2010


 
 
13 अप्रैल 2010


इंडो-एशियन न्यूज सर्विस



कुरुक्षेत्र। हरियाणा और आस-पास के राज्यों की खाप पंचायतों की शीर्ष संस्था ने 'ऑनर किलिंग' (कथित सम्मान के लिए की जानेवाली हत्या) के अपराध में पिछले महीने मौत की सजा पाए छह लोगों को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।

मनोज-बबली हत्याकांड: 5 हत्यारों को फांसी की सजा

खाप महापंचायत ने मंगलवार को हिंदू विवाह कानून में एक संशोधन करके समान गोत्र में विवाह को प्रतिबंधित करने की भी मांग की। खाप नेताओं ने न्यायालय के निर्णय के विरोध में दिल्ली को उत्तर भारत के महत्वपूर्ण शहरों से जोड़नेवाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक एक पर प्रदर्शन करने और चंडीगढ़ तथा अंबाला में सड़क जाम करने का फैसला किया।

 
 
कुरुक्षेत्र। हरियाणा और आस-पास के राज्यों की खाप पंचायतों की शीर्ष संस्था ने 'ऑनर किलिंग' (कथित सम्मान के लिए की जानेवाली हत्या) के अपराध में पिछले महीने मौत की सजा पाए छह लोगों को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।




खाप महापंचायत ने मंगलवार को हिंदू विवाह कानून में एक संशोधन करके समान गोत्र में विवाह को प्रतिबंधित करने की भी मांग की। खाप नेताओं ने न्यायालय के निर्णय के विरोध में दिल्ली को उत्तर भारत के महत्वपूर्ण शहरों से जोड़नेवाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक एक पर प्रदर्शन करने और चंडीगढ़ तथा अंबाला में सड़क जाम करने का फैसला किया।

chmda ke jute pashuo par atyaachaar

लखनऊ। हिन्दुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में चमड़े के बने जूते, बेल्ट और टोपी की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन इन्हें इस्तेमाल करने वाले यह नहीं जानते कि चमड़ा निकालने के लिये जानवरों की हड्डियों के जोडों को चटकाया जाता है और उन्हें उल्टा लटका कर उनकी गर्दन काट दी जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार चमड़े के लिये दुनिया भर में हर सेकेंड 70 से अधिक गाय, भैंस, सुअर, भेड़ और अन्य जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है।










‘फैशन सप्ताह’ में चमड़े के विकल्पों पर जोर









ज्यादातर चमडा गाय, भैंस, भेड, बकरी आदि की खाल से बनाया जाता है। इसके अलावा घोडा, सुअर, मगरमच्छ, सांप और अन्य जानवरों की खालें भी चमडे के स्त्रोत हैं। एशिया के कुछ हिस्सों में चमडे की खातिर कुत्तों और बिल्लियों को भी मारा जाता है। चमडा और उससे बने सामान खरीदते समय यह नहीं बताया जा सकता कि यह किस जानवर से बना है। चमड़े की खातिर गाय और भैंस के सींग तोड दिये जाते हैं और उन्हें भूखा प्यासा रखा जाता है।



पशुओं पर क्रूरता के खिलाफ काम कर रही अंतर्राष्ट्रीय संस्था पीपुल फार एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनिमल (पेटा) ने लोगों से चमडे के बजाय वनस्पतियों से बने जूते, बेल्ट और टोपी का इस्तेमाल करने की अपील की है। वनस्पतियों से बने सामान चमडे की अपेक्षा साठ से सत्तर प्रतिशत तक सस्ते होते हैं।



भारत में पेटा की प्रमुख अनुराधा साहनी ने यूनीवार्ता से कहा कि देश में चमडे को इंडियन कौंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च में मांस के सह उद्योग की संज्ञा दी गयी है, जबकि वास्तविकता यह है कि निर्यात के रूप में यह मांस की अपेक्षा अधिक मूल्य पाता है।



उन्होंनें कहा कि चमडे की खरीद परिवहन में पशुओं के प्रति क्रूरता और कसाईखाने में उनके साथ दर्दनाक व्यवहार को खुला समर्थन देती है। डेयरी में जब दुधारू गाय दूध देना बंद कर देती है तो उनकी खाल का इस्तेमाल चमडे के रूप में किया जाता है। उनके बछडों को भी अक्सर जहर दे दिया जाता है या भूखा प्यासा रखा जाता है ताकि उनके चमडे की ऊंची कीमत मिल सके।



सुश्री साहनी ने कहा कि तकरीबन सभी पशु जिनको अंततः बेल्ट या जूते का रूप लेने को मजबूर होना पडता है, उन्हें कसाईखाने में अत्यंत क्रूर व्यवहार झेलना पडता है। उन्हें तंग जगहों में बेरहमी से ठूंस कर रखा जाता है तथा बिना बेहेशी की दवा दिये उनके पूछ और सींग काट दिये जाते हैं।



चमडे के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले कई पशु इतने बीमार और जख्मी होते है कि वह चलने की हालत में नहीं होते और उन्हें घसीटकर कसाईखाने तक ले जाना पडता है। चलाने के लिये कईयों की आंखों में मिर्च और तम्बाकू भी झोंक दिया जाता है। उनकी पूंछ को दर्दनाक तरीके से मोड कर तोडा जाता है।









बेहाल चमड़ा उद्योग









चमडे को टूटने से बचाने के लिये कई तरह के रसायन जानवरों को लगाये जाते हैं। उनमें से कुछ काफी जहरीले होते हैं। ऐसे रसायन कसाईखाने में काम करने वालों को भी नुकसान पहुंचा देते हैं।



उन्होंनें कहा कि बेंगलूर और कोलकाता में नगरपालिका के कसाईखानों में जानवरों को बेरहमी से कत्ल करने की जगह पर ले जाते देखा गया। उनको बिखरे खून और अन्य जानवरों के शरीर से निकाली गयी अंतडियों के ढेर पर पटक दिया गया था। जानवर भय से कांप रहे थे और उनकी आंखें फैल गयी थीं। उनकी आंखों से आंसूओं का झरना बह रहा था। वह लाचार होकर अपने साथियों को मरता देख रहे थे और अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे।

hinduo ne muslim ki lkadki ki shaadi krai

24 मई 2010




इंडो-एशियन न्यूज सर्विस





बागपत। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक गांव के हिंदुओं ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए चंदा इकट्ठा करके एक गरीब मुस्लिम लड़की की धूमधाम से शादी कराई।



बागपत जिले के सुन्हेड़ा गांव में हिंदुओं ने जाति-धर्म के बंधनों से ऊपर उठकर रविवार शाम को यह शादी करवाई। उन्हें लगता है कि उनके इस कदम से दोनों समुदायों के रिश्तों में और प्रगाढ़ता आएगी।



सुन्हेड़ा गांव की असमां (21) जब केवल छह साल की थी तब उसके पिता अजीज की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मां महरुनिसां ने किसी तरह दूसरों के घर काम करके उसका पालन-पोषण किया, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह असमां की शादी धूमधाम से करके अपने मरहूम पति की अंतिम इच्छा को पूरी कर पाती।



ग्रामीणों को मरहूम अजीज की अंतिम इच्छा की जानकारी थी। असमां जब शादी के लायक हुई तब उन्होंने आगे बढ़कर उसके निकाह की जिम्मेदारी उठाई। असमां के लिए वर का चुनाव ग्रामीणों ने ही किया।



स्थानीय जयपाल तोमर करते हैं कि असमां के लिए अच्छा वर तलाशने की जिम्मेदारी गांव के वरिष्ठ लोगों पर थी। जयपाल ने कहा, "वैसे तो असमां के लिए कई रिश्ते आए पर हमें लगा कि पास के गांव में कपड़े की दुकान चलाने वाला मुश्ताक ही उसके लिए योग्य है। उसकी मां मेहरूनिसां से सलाह करने के बाद तकरीबन तीन महीने पहले शादी तय कर दी गई।"



आसमां की शादी पूरी तरह से मुस्लिम रीति-रिवाज से हुई। गांव के सरपंच महिपाल सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि करीब 800 लोगों ने शरीक होकर नव-विवाहित जोड़े को अपना आशीर्वाद दिया। असमां की शादी करने के अलावा ग्रामीणों ने उसे रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े ढेरों उपहार भी दिए।



उन्होंने कहा कि इस तरह की शादी केवल ग्रामीणों के अभूतपूर्व सहयोग से संभव हो सकती थी। शादी में आने वाले खर्च के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि यह बतलाना ग्रामीणों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना होगा, क्योंकि उनके लिए यह पैसे से कहीं ज्यादा भावनाओ से जुड़ा मामला था।



सिंह ने कहा, " मैं कहना चाहता हूं कि ग्रामीणों ने मिलकर इस शादी में खाने-पीने से लेकर साज-सज्जा और संगीत का बेहतरीन इंतजाम किया था। आमतौर पर शहरों में होने वाली शादियों से कमतर व्यवस्था नहीं थी।"
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में नक्सलियों ने रेलवे की पटरिया उखाड़ दी . जिससे ७६ यात्रियों की मोत हो गयी नक्सली मोत का तांडव हर दुसरे या तीसरे दिन रच रहे है .जनता रो रही है ,बिलख रही है .आये दिन होने वाले हमलो से परेशान है और सर पटक- पटक कर उस दिन को याद कर रही है जब उसने देश की बागडोर युपीए के हाथ में सोपी थी . प्रधानमन्त्री विदेशी दोरो में मस्त रहते है , चिदम्बरम सिमित अधिकार होने की बात कहते है .राहुल दलितों के घर सो रहे है खाना ख़ा रहे है .इन सबके बीच में आम आदमी पिस रहा है अपनी जान गवा रहा है .न ही रेल सुरक्षित है और न ही बसे एयरपोर्ट . भारत के ग्रहमंत्री पाकिस्तान को सलाह देते है 'आतंक प़र लगाम लगाओ ' .परन्तु अपने देश की जो बागडोर उन्होंने अपने हाथ ली है वह उसे नही संभाल पा रहे है .देश का नेत्रित्व कमजोर हाथो में है जो देशहित में फैसला लेने से पहले वोट बैंक को तोलता है . प्रधानमन्त्री , ग्रहमंत्री,या वित् मंत्री ,या सोनिया, राहुल जो वायदे चुनावों में इन्होने किये थे उन वायदों को निभाने में विफल साबित हुए है .फिर भी राहुल गरीबो , दलितों के घर खाना खाकर २०१४ की राजनितिक जमीन तयार करने में जुटे है . यह कैसी सरकार है जो वर्तमान स्थिति को संभालने में विफल है परन्तु सत्ता मोह में आगे की रणनीति बनाने में जुटी है . लोकसभा चुनावों में आडवानी जी ने कमजोर प्रधान मंत्री का मुदा उठाया था किन्तु यहाँ कमजोरी केवल एक व्यक्ति में नही सभी मंत्रियो में है . देश भले ही खंडित हो , नक्सलवाद पनपे इन्हें कोई मतलब नही है ये लोग केवल विकास का नारा देकर अपना फ़र्ज़ पूरा कर रहे है . क्या आतंक और नक्सल के रहते भारत कभी विकसित हो सकता है .जनता से विकास के नाम प़र वोट बटोरने वाली पार्टी देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है .आम आदमी परेशान है वह सोच रहा है यह कैसी सरकार है

kya bharat me deshbhakto ki kami hai

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एक २२ साल का युवा जिसे देशभक्ति की सोच हासिल है तभी आर्मी ज्वाइन करने की चाह जगी लेकिन फिजिकल में असफल होने के बाद वापस पढ़ रहा है और अब एक नई सोच नेवी ज्वाइन करने की शोक लिखना ,पढना और सोच की गह्रइयो में ख़ुद को झोककर मोती निकाल लाना और इसमें सफल होने की चाह