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Sunday, January 3, 2010

आँवले का मुरब्बा रोज खाएँ ऊपर से गाजर का रस पिएँ। तुलसी की जड़ के टुकड़े को पीसकर पानी के साथ पीना लाभकारी होता है। अगर जड़ नहीं उपलब्ध हो तो तो बीज 2 चम्मच शाम के समय लें। लहसुन की दो कली कुचल कर निगल जाएँ। थोड़ी देर बाद गाजर का रस पिएँ। मुलहठी का चूर्ण आधा चम्मच और आक की छाल का चूर्ण एक चम्मच दूध के साथ लें। काली तुलसी के पत्ते 10-12 रात में जल के साथ लें। रात को एक लीटर पानी में त्रिफला चूर्ण भिगा दें सुबह मथकर महीन कपड़े से छानकर पी जाएँ। अदरक रस 2चम्मच, प्याज रस 3चम्मच, शहद 2चम्मच, गाय का घी2चम्मच, सबको मिलाकर चाटें स्वप्न दोष तो ठीक होगा ही साथ मर्दाना ताकत भी बढ़ती है।

19 comments:

  1. अदरक का सूखा हुआ रूप सौंठ होता है। इस सौंठ को पीस कर पानी में खूब देर तक उबालें। जब एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन गुनगुना होने पर दिन में तीन बार करें। तुरंत फायदा होगा। काली मिर्च, हरड़े का चूर्ण, अडूसा तथा पिप्पली का काढ़ा बना कर दिन में दो बार लेने से खाँसी दूर होती है। हींग, काली मिर्च और नागरमोथा को पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन भोजन के बाद दो गोलियों का सेवन करें। खाँसी दूर होगी। कफ खुलेगा। पानी में नमक, हल्द‍ी, लौंग और तुलसी पत्ते उबालें। इस पानी को छानकर रात को सोते समय गुनगुना पिएँ। सुबह खाँसी में असर दिखाई देगा। नियमित सेवन से 7 दिनों के अंदर खाँसी का नामोनिशान नहीं रहेगा।

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  2. (गुरूवार 19 नवंबर 2009)
    हमारे देश में लौंग जंजीबार से आती है। वही लौंग लाभकारी होती है, जिसमें से तेल ना निकाला गया हो। लौंग कफ पित्त शामक होती है। प्यास लगने और जी ‍मचलने पर लौंग का सेवन लाभकारी होता है। पाचन क्रिया पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। लौंग भूख बढ़ाती है, इससे पाचक रसों का स्त्राव बढ़ता है। पेट के कृमि इसके प्रयोग से नष्ट हो जाते हैं।इसकी मात्रा एक से पाँच लौंग तक ही उचित है। इसे पीसकर मिश्री की चाशनी या शहद के साथ लेना अधिक लाभप्रद होता है। लौंग श्वेत रक्त कणों को बढ़ाती है तथा जीवन शक्ति के लिए जिम्मेदार कोषों का पोषण करती है। यह एंटीबायोटिक है। अत: दमा रोग में अत्यंत लाभकारी है। त्वचा के किसी भी प्रकार के रोग में इसका चंदन बूरा के साथ मिलाकर लेप लगाने से फायदा मिलता है।

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  3. शहद का नियमित और उचित मात्रा में उपयोग करने से शरीर स्वस्थ, सुंदर, बलवान, स्फूर्तिवान बनता है और दीर्घजीवन प्रदान करता है। शहद को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। शहद का पीएच मान 3 से 4.8 के बीच होने से जीवाणुरोधी गुण स्वतः ही पाया जाता है। प्रातःकाल शौच से पूर्व शहद-नींबू पानी का सेवन करने से कब्ज दूर होता है, रक्त शुद्ध होता है और मोटापा कम होता है। गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों द्वारा शहद का सेवन करने से पैदा होने वाली संतान स्वस्थ एवं मानसिक दृष्टि से अन्य शिशुओं से श्रेष्ठ होती है। त्वचा पर निखार लाने के लिए गुलाब जल, नींबू और शहद मिलाकर लगाना चाहिए। गाजर के रस में शहद मिलाकर लेने से नेत्र-ज्योति में सुधार होता है। उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद लेने से रक्तचाप सामान्य होता है। त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है।नोट : गर्म करके अथवा गुड़, घी, शकर, मिश्री, तेल, मांस-मछली आदि के साथ सेवन नहीं करना चाहिए।

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  4. (रविवार 8 नवंबर 2009)
    आजमाए गए प्रत्येक खाँसी के रोगी को इस नुस्खे से अवश्य लाभ हुआ। सीतोपलादि आयुर्वेद का प्रसिद्ध चूर्ण है। घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिए दालचीनी-एक भाग, छोटी इलायची-दो भाग, छोटी पीपर-चार भाग, वंशलोचन-आठ भाग और मिश्री-सोलह भाग लें। सारी औषधियों का महीन चूर्ण बनाकर शीशे के जार में भर लें। चूर्ण बनाते समय यह ध्यान दें कि वंशलोचन खूब महीन (बारीक) पिस जाए और मिश्री अंत में पीसकर मिलाएँ, सारी औषधियों का चूर्ण खूब महीन (बारीक) हो। रात्रि में सोते समय और प्रातः खाली पेट शहद के साथ एक चम्मच चूर्ण चाटकर सोएँ। यदि जल पीना है तो रात्रि में गरम जल का ही प्रयोग करें। दो-तीन दिनों में खाँसी से छुटकारा मिल जाएगा।

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  5. जीरा पाचक और सुगंधित मसाला है। भोजन में अरुचि, पेट फूलना, अपच आदि को दूर करने में जीरा विश्वसनीय औषधि है। भुने हुए जीरे को लगातार सूँघने से जुकाम की छीकें आना बंद हो जाती है। प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है। जीरा गरम प्रकृति का होता है अत: इसके अधिक सेवन से उल्टी भी हो सकती है। जीरा कृमिनाशक है और ज्वरनिवारक भी। जीरे को उबाल कर उस पानी से स्नान करने से खुजली मिटती है। बवासीर में मिश्री के साथ सेवन करने से शांति मिलती है। जीरे व नमक को पीसकर घी व शहद में मिलाकर थोड़ा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगाने से विष उतर जाता है। जीरे का चूर्ण 4 से 6 ग्राम दही में मिलाकर खाने से अतिसार मिटता है।

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  6. (बुधवार 21 अक्टूबर 2009)
    इसकी गिनती सरसों की जाति में होती है। इसका दाना छोटा व काला होता है। राई का प्रमुख गुण पाचक होता है। पेट के कीड़े इसका पानी पीने से मर जाते है। हैजे में राई को पीस कर पेट पर लेप करने से उदरशूल व मरोड़ में आराम मिलता है। इसकी पुल्टिस बना कर दर्द वाली जगह पर सेंक किया जाए तो तुरंत राहत मिलती है। राई के लेप से सूजन कम होती है। गर्म पानी में राई डालने से राई फूल जाती है। और उसके गुण पानी में पहुँच जाते हैं। इस पानी को गुनगुना सहने योग्य कर ‍किसी टब में कमर तक भर कर बैठा जाए तो सभी प्रकार के यौन रोग प्रदर, प्रमेह आदि में बेहतर सुधार आता है। इसे पीस कर शहद में मिलाकर सूँघने से जुकाम में आराम मिलता है। मिर्गी-मूर्च्छा में मात्र राई पीस कर सूँघाने से फायदा होता है। राई के तेल में बारीक नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया रोग का नाश होता है। राई के अधिक प्रयोग से उल्टी हो सकती है अत: राई का सीमित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

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  7. सौंफ में विटामिन सी की जबर्दस्त मात्रा है और इसमें आवश्यक खनिज भी हैं जैसे कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम। पेट की बीमारियों के लिए यह बहुत प्रभावी दवा है जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रिक डिस्ऑर्डर के लिए। दिलचस्प बात यह है कि सौंफ आपकी याददाश्त बढ़ाती है, निगाह तेज करती है, खाँसी भगाती है और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखती है। अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें। सूखी, रोस्टेड और कच्ची सौंफ को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे खाने के बाद खाएँ। इससे पाचनक्रिया बेहतर रहेगी और आप हल्का महसूस करेंगे। अगर आप एक चम्मच सौंफ 2 कप पानी में उबाल लें और इस मिश्रण को दिन में दो-तीन बार लें तो आपकी आँतें अच्छा महसूस करेंगी और खाँसी भी लापता हो जाएगी। सौंफ की पत्तियों में खाँसी संबंधी परेशानियाँ जैसे दमा व ब्रोन्काइटिस को दूर रखने की भी क्षमता होती है। सौंफ को अंजीर के साथ खाएँ और खाँसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएँ। मासिक चक्र को नियमित बनाने के लिए सौंफ को गुड़ के साथ खाएँ।

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  8. लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा। नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सिर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं। लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं।

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  9. उपयोग : खजूर के पेड़ से रस निकालकर 'नीरा' बनाई जाती है, जो तुरन्त पी ली जाए तो बहुत पौष्टिक और बलवर्द्धक होती है और कुछ समय तक रखी जाए तो शराब बन जाती है। लेकिन यह शराब नुकसान करती है। इसके रस से गुड़ भी बनाया जाता है। इसका उपयोग वात और पित्त का शमन करने के लिए किया जाता है। दमा : दमा के रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम 2-2 छुहारे खूब चबाकर खाना चाहिए। इससे फेफड़ों को शक्ति मिलती है और कफ व सर्दी का प्रकोप कम होता है। छुहारे की गुठली निकाल कर दूध में उबाल कर गाढ़ा कर लें। छुहारे गलने के उपरांत सूखे मेवे डाल कर ओटा लें। यह तैयार दूध बढ़ते बच्चों के लिए गुणकारी होता है। paze 17

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  10. (शुक्रवार 7 अगस्त 2009)
    नेत्र रोग : आँखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूँद आँखों में टपकाने से आँखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएँ दूर होती हैं। नकसीर : हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूँद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है। गर्भावस्था में जी घबराना: गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियाँ आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है। पित्ती : शरीर में पित्ती की तकलीफ हो तो हरे धनिये के पत्तों का रस, शहद और रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।

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  11. पुदीना, काली मिर्च, हींग, सेंधा नमक, मुनक्का, जीरा, छुहारा सबको मिलाकर चटनी पीस लें। यह चटनी पेट के कई रोगों से बचाव करती है व खाने में भी स्वादिष्ट होती है। भूख न लगने या खाने से अरुचि होने पर भी यह चटनी भूख को खोलती है। खाँसी होने पर पुदीने व अदरक का रस थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है। यदि लगातार हिचकी चल रही हो तो पुदीने में चीनी मिलाकर धीरे-धीरे चबाएँ। कुछ ही देर में आप हिचकी से निजात पा लेंगे। यदि आपको टॉंसिल की शिकायत रहती है, जिनमें अक्सर सूजन हो जाती हो तो ऐसे में पुदीने के रस में सादा पानी मिलाकर गरारा करना चाहिए। दिनभर बाहर रहने वाले लोगों को तलुओं में जलन की शिकायत रहती है, ऐसे में उन्हें फ्रिज में रखे हुए पिसे पुदीने को तुलओं पर लगाना चाहिए, राहत मिलती है। सूखा या गीला पुदीना छाछ, दही, कच्चे आम के पने में पिया जाए तो पेट में होने वाली जलन दूर होकर ठंडक मिलती है। लू से भी बचाव होता है। जहरीले कीट के काटने पर उस जगह पिसा पुदीना लगाना शीघ्र लाभ पहुँचाता है। पुदीने की पत्तियाँ धीरे-धीरे चबाने से भी रोगी को राहत मिलती है।

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  12. यदि आप कंडीशनर का प्रयोग करना चाहते हैं परंतु इसकी प्रक्रिया आपको झंझट भरी लगती है तो आप आयुर्वेदिक डीप कंडीशनर का प्रयोग 20 दिन में एक बार करें। आप इस कंडीशनर को स्वयं घर पर झटपट बना सकते हैं तथा 20 मिनट में बालों की डीप कंडीशनिंग कर सकते हैं। निर्माण विधि एवं प्रयोग विधि- आधा कटोरी हरी मेहँदी पावडर लें। इसमें गर्म दूध (गाय का) डालकर पतला लेप बना लें। इसी लेप में एक बड़ा चम्मच आयुर्वेदिक हेयर ऑइल डालें। इसे अच्छी तरह से मिला लें। जब यह लेप ठंडा हो जाए तब बालों की जड़ों में लगाएँ। 20 मिनट छोड़कर आयुर्वेदिक शैंपू पानी में घोलकर बालों को धो लें। इस डीप कंडीशनर द्वारा आपके बालों को पोषण भी मिलेगा एवं उसमें बाउंस (लोच) भी आ जाएगा।

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  13. बेसन को पानी में घोलकर इस घोल को सिर के बालों में लगाएँ। एक घन्टे बाद पानी से बालों को धो डालें। एक हफ्ते में दो बार इस क्रिया को करने से बाल घने, काले और मुलायम तो होते ही हैं साथ ही बालों की गंदगी दूर होती है जिससे बाल मुलायम और चमकदार बनते हैं। इस क्रिया से सिर की खाज और फुन्सियाँ भी ठीक होती हैं। 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। अगर सर्दियाँ हैं तो गुनगुने पानी में और अगर गर्मियाँ हैं तो ठन्डे पानी से सिर को धो लें। अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है, तो इस क्रिया को दोबारा फिर करें।

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  14. हींग के असरकारी नुस्खे
    (शुक्रवार 17 जुलाई 2009)
    बड़ी तीखी और दूर तक सहज ही फैल जाने वाली गंध की स्वामिनी हींग हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है। रोज के खाने में जैसे सब्जी-दाल आदि में हींग का छौंक लगाने से यह पेट की रक्षा करती है। हाजमा खराब होने पर पेट में तकलीफ होती है, हिंगाष्टक चूर्ण का सेवन करने से हाजमा ठीक हो जाएगा। सर्दियों में गर्म पानी के साथ और गर्मी में ताजी छाछ के साथ आधा ग्राम हींग सेवन करने से वायु-गोले का प्रभाव जाता रहेगा। हिचकी, डकार या उल्टी होने पर केले के गूदे में मटर के दाने बराबर हींग रखकर खाने से वमन, डकार, हिचकी बंद हो जाएगी। जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें दस ग्राम हींग भूनी, बीस ग्राम काला नमक और अस्सी ग्राम बाय-बडंग पीसकर तीनों को मिलाकर रोज थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी के साथ फाँकना चाहिए। याददाश्त दुरुस्त होगी। सर्दियों में गर्म पानी के साथ और गर्मी में ताजी छाछ के साथ आधा ग्राम हींग सेवन करने से वायु-गोले का प्रभाव जाता रहेगा।

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  15. 250 ग्राम छाछ में 10 ग्राम गुड़ डालकर सिर धोने से अथवा नीबू का रस लगाकर सिर धोने से रूसी दूर होती है। टमाटर को पीसकर चेहरे पर इसका लेप लगाने से त्वचा की कांति और चमक दो गुना बढ़ जाती है। मुँहासे, चेहरे की झाइयाँ और दाग-धब्बे दूर करने में मदद मिलती है। पसीना अधिक आता हो तो पानी में फिटकरी डालकर स्नान करें। उबलते पानी में नीबू निचोड़कर पानी पीने से ज्वर का तापमान गिर जाता है। सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं फटते।

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  16. अपनी त्वचा को संक्रमण से बचाने के लिए त्वचा की देखभाल जरूरी हैं। नीबू एक प्राकृतिक क्लींजर है। एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी में, एक चम्मच गुलाबजल, आधा चम्मच शहद और नीबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा की रंगत निखर आती हैं और दाग-धब्बे दूर होते हैं।

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  17. दही आमतौर पर रोजाना इस्तेमाल होता है, अगर इसके लाभ पर गौर करें तो वह अनगिनत है। गर्मी में दही की लस्सी या छाछ पीने से पेट में ठंडक रहती है। दही में कैल्शियम काफी मात्रा में होता है, इसके सेवन से पेट के कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं। दही को थोड़ी अजवाइन के साथ खाएँ तो कब्ज से छुटकारा मिलेगा। दही का कुल्ला करने पर मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं। जिसे अल्सर की बीमारी हो वह दही खाए तो उसे जरूर लाभ होगा।

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  18. यह केवल पाँच मिनट में पच जाता है अर्थात जीवन शक्ति का भंडार है। *औषधीय लाभ- नीबू और शहद मिलाकर पीने से तुरंत शक्ति प्राप्त होती है। *खाँसी में शहद व अदरक का रस मिलाकर लेने से आराम होता है। *बच्चों के दाँत निकलते समय शहद चटाने से दाँत आसानी से निकलते हैं। *ब्लडप्रेशर में भी नीबू के रस में शहद मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

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एक २२ साल का युवा जिसे देशभक्ति की सोच हासिल है तभी आर्मी ज्वाइन करने की चाह जगी लेकिन फिजिकल में असफल होने के बाद वापस पढ़ रहा है और अब एक नई सोच नेवी ज्वाइन करने की शोक लिखना ,पढना और सोच की गह्रइयो में ख़ुद को झोककर मोती निकाल लाना और इसमें सफल होने की चाह