Tuesday, January 19, 2010
sahi kha
हमारे धर्म को बदनाम किया जा रहा है कुछ हद्द तक अपने ही लोग इसमें संलिप्त है . उनके तर्क यही होते है माथे पर टिका लगाना बकवास है , अभी महाकुम्भ पर भी एक हिन्दू ने ही लिखा ५ करोड़ मूर्खो ने लगाई डुबकी , कभी मन्दिरों पर चढ़ते चढ़ावे को लेकर धर्म का घेराव किया जाता है , तो कभी साधू संतो की वाणी को सुनना भी अन्धविश्वास बताया जाता है . भारत पूर्णतः स्नात्मधर्मी था लेकिन हमारे ही कुछ लोग के स्वार्थ पूर्ती के कारण बार बार देश गुलाम हुआ बार बार खंडित हुआ . जिस भी विदेशी ने यहा राज किया उसने हमारे धर्म को या तो अन्धविश्वास बताया या किसी न किसी तरीके से हमारे इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया . लेकिन कुछ पोंगा पंडितो की वजह से भी हमारी संस्कृति बदनाम हुई सही मायनो में कहा जाये तो वे हमें कुछ बातो में बरगलाते रहे . माथे पर तिलक लगाना हो या कुम्भ पर्व पर स्नान इन सब का वज्ञानिक कारण भी है . तुलसी को जल देने से हो या सूर्य को जल देने से इन सभी में हमारे ऋषि मुनियों की मनुष्य को सवच्छ रहने के लिए खोजे की गई है . और यह सब सिद्ध हो चूका है
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kya bharat me deshbhakto ki kami hai
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- vikas mehta
- एक २२ साल का युवा जिसे देशभक्ति की सोच हासिल है तभी आर्मी ज्वाइन करने की चाह जगी लेकिन फिजिकल में असफल होने के बाद वापस पढ़ रहा है और अब एक नई सोच नेवी ज्वाइन करने की शोक लिखना ,पढना और सोच की गह्रइयो में ख़ुद को झोककर मोती निकाल लाना और इसमें सफल होने की चाह
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