www.hamarivani.comwww.hamarivani.com">

Friday, January 29, 2010

साथी हाथ बढ़ाना खोज कीजिये © कॉपीराइट कविता कोश टीम सर्वश्रेष्ठ योगदानकर्ता टिप्पणी लिखें योगदान कीजिए!... स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं के एक छोटे-से समूह ने कविता कोश को 26,000 से भी अधिक काव्य रचनाओं का विशाल संग्रह बना दिया है। आप नियमित-रूप से इसका लाभ उठाते रहे हैं। आपसे निवेदन है कि अब आप कोश के विकास कार्य में भी हाथ बटाएँ। अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करें।


कविता कोश अब फ़ेसबुक पर भी!

कविता कोश में हो रही गतिविधियों की जानकारी के लिये कोश को अपनी "Friend List" में शामिल करें









खोज कैसे करें: ऊपर दिये गये बक्से में आप अंग्रेज़ी अक्षरों में टाइप कीजिये। एक शब्द टाइप करने के बाद जैसे ही आप स्पेस दबाएंगे वैसे ही आपके द्वारा लिखा गया शब्द हिन्दी में बदल जाएगा। हिन्दी में बदलने के लिये आपको हर शब्द के बाद स्पेस दबाना होगा (आखिरी शब्द के बाद भी)।



उदाहरण के लिये यदि आप "mahadevi varma" टाइप करेंगे तो यह "महादेवी वर्मा" में बदल जाएगा और आप महादेवी वर्मा की रचनाएँ कविता कोश में खोज पाएंगे।









© कविता कोश हिन्दी काव्य को इंटरनैट पर एक जगह लाने का एक अव्यावसायिक और सामूहिक प्रयास है। इस वैबसाइट पर संकलित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार रचनाकार या अन्य वैध कॉपीराइट धारक के पास सुरक्षित हैं। इसलिये कविता कोश में संकलित कोई भी रचना या अन्य सामग्री किसी भी तरह के सार्वजनिक लाइसेंस (जैसे कि GFDL) के अंतर्गत उपलब्ध नहीं है। © Poems collected in Kavita Kosh are copyrighted by the respective poets and are, therefore, not available under any public, free or general licenses including GFDL









कविता कोश टीम के सदस्य । अधिक जानकारी





प्रतिष्ठा शर्मा

प्रशासक (Administrator)

ललित कुमार

संस्थापक (Founder)

अनिल जनविजय

संपादक (Editor)

द्विजेन्द्र 'द्विज'

सदस्य (Member)

अनूप भार्गव

सदस्य (Member)











कविता कोश के विकास में सहयोग देने वाले हाल के सर्वश्रेष्ठ योगदानकर्ता





धर्मेन्द्र कुमार सिंह

श्रद्धा जैन

राजीव रंजन प्रसाद

कुँअर रवीन्द्र

अजय यादव

राजुल मेहरोत्रा

आप भी योगदान दे सकते हैं! हिन्दी काव्य के इस अथाह भंडार के विकास में विश्वभर से सैंकड़ों व्यक्ति योगदान देते हैं। आप भी इस यज्ञ में स्वेच्छा से अपना योगदान दे सकते हैं। देखिये किस तरह







कविता कोश आपको कैसा लगा? कोश के संबंध में आपके मन में कोई प्रश्न, सुझाव या टिप्पणी हो तो कृपया हमें ज़रूर बतायें।

अपनी टिप्पणी लिखने के लिये यहाँ क्लिक करें

कविता कोश टीम को आपके विचार जानकर प्रसन्नता होगी।

टीम से सम्पर्क करने के लिये आप kavitakosh AT gmail DOT com पर ईमेल भेज सकते हैं।





मुखपृष्ठ » रचनाकारों की सूची » रचनाकार: हरिवंशराय बच्चन » संग्रह: एकांत-संगीत

» अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!





अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!





वृक्ष हों भले खड़े,



हों घने, हों बड़े,



एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!



अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!





तू न थकेगा कभी!



तू न थमेगा कभी!



तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!



अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!





यह महान दृश्‍य है-



चल रहा मनुष्‍य है



अश्रु-स्वेद-रक्‍त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!



अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

1 comment:

  1. साथी हाथ बढ़ाना खोज कीजिये © कॉपीराइट कविता कोश टीम सर्वश्रेष्ठ योगदानकर्ता टिप्पणी लिखें योगदान कीजिए!... स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं के एक छोटे-से समूह ने कविता कोश को 26,000 से भी अधिक काव्य रचनाओं का विशाल संग्रह बना दिया है। आप नियमित-रूप से इसका लाभ उठाते रहे हैं। आपसे निवेदन है कि अब आप कोश के विकास कार्य में भी हाथ बटाएँ। अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करें।
    कविता कोश अब फ़ेसबुक पर भी!
    कविता कोश में हो रही गतिविधियों की जानकारी के लिये कोश को अपनी "Friend List" में शामिल करें




    खोज कैसे करें: ऊपर दिये गये बक्से में आप अंग्रेज़ी अक्षरों में टाइप कीजिये। एक शब्द टाइप करने के बाद जैसे ही आप स्पेस दबाएंगे वैसे ही आपके द्वारा लिखा गया शब्द हिन्दी में बदल जाएगा। हिन्दी में बदलने के लिये आपको हर शब्द के बाद स्पेस दबाना होगा (आखिरी शब्द के बाद भी)।

    उदाहरण के लिये यदि आप "mahadevi varma" टाइप करेंगे तो यह "महादेवी वर्मा" में बदल जाएगा और आप महादेवी वर्मा की रचनाएँ कविता कोश में खोज पाएंगे।




    © कविता कोश हिन्दी काव्य को इंटरनैट पर एक जगह लाने का एक अव्यावसायिक और सामूहिक प्रयास है। इस वैबसाइट पर संकलित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार रचनाकार या अन्य वैध कॉपीराइट धारक के पास सुरक्षित हैं। इसलिये कविता कोश में संकलित कोई भी रचना या अन्य सामग्री किसी भी तरह के सार्वजनिक लाइसेंस (जैसे कि GFDL) के अंतर्गत उपलब्ध नहीं है। © Poems collected in Kavita Kosh are copyrighted by the respective poets and are, therefore, not available under any public, free or general licenses including GFDL




    कविता कोश टीम के सदस्य । अधिक जानकारी


    प्रतिष्ठा शर्मा
    प्रशासक (Administrator)
    ललित कुमार
    संस्थापक (Founder)
    अनिल जनविजय
    संपादक (Editor)
    द्विजेन्द्र 'द्विज'
    सदस्य (Member)
    अनूप भार्गव
    सदस्य (Member)





    कविता कोश के विकास में सहयोग देने वाले हाल के सर्वश्रेष्ठ योगदानकर्ता


    धर्मेन्द्र कुमार सिंह
    श्रद्धा जैन
    राजीव रंजन प्रसाद
    कुँअर रवीन्द्र
    अजय यादव
    राजुल मेहरोत्रा
    आप भी योगदान दे सकते हैं! हिन्दी काव्य के इस अथाह भंडार के विकास में विश्वभर से सैंकड़ों व्यक्ति योगदान देते हैं। आप भी इस यज्ञ में स्वेच्छा से अपना योगदान दे सकते हैं। देखिये किस तरह



    कविता कोश आपको कैसा लगा? कोश के संबंध में आपके मन में कोई प्रश्न, सुझाव या टिप्पणी हो तो कृपया हमें ज़रूर बतायें।
    अपनी टिप्पणी लिखने के लिये यहाँ क्लिक करें
    कविता कोश टीम को आपके विचार जानकर प्रसन्नता होगी।
    टीम से सम्पर्क करने के लिये आप kavitakosh AT gmail DOT com पर ईमेल भेज सकते हैं।


    मुखपृष्ठ » रचनाकारों की सूची » रचनाकार: हरिवंशराय बच्चन » आज तुम मेरे लिये हो


    प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।


    मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब,
    मैं समय के शाप से डरता नहीं अब,
    आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो
    प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।



    रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा,
    आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
    तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
    प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।



    वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या,
    वह सुधा के स्वाद से जा‌ए छला क्या,
    जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
    प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।



    मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही,
    पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी,
    मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
    प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।

    ReplyDelete

kya bharat me deshbhakto ki kami hai

Followers

Blog Archive

About Me

My photo
एक २२ साल का युवा जिसे देशभक्ति की सोच हासिल है तभी आर्मी ज्वाइन करने की चाह जगी लेकिन फिजिकल में असफल होने के बाद वापस पढ़ रहा है और अब एक नई सोच नेवी ज्वाइन करने की शोक लिखना ,पढना और सोच की गह्रइयो में ख़ुद को झोककर मोती निकाल लाना और इसमें सफल होने की चाह