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Saturday, May 29, 2010

hinduo ne muslim ki lkadki ki shaadi krai

24 मई 2010




इंडो-एशियन न्यूज सर्विस





बागपत। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक गांव के हिंदुओं ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए चंदा इकट्ठा करके एक गरीब मुस्लिम लड़की की धूमधाम से शादी कराई।



बागपत जिले के सुन्हेड़ा गांव में हिंदुओं ने जाति-धर्म के बंधनों से ऊपर उठकर रविवार शाम को यह शादी करवाई। उन्हें लगता है कि उनके इस कदम से दोनों समुदायों के रिश्तों में और प्रगाढ़ता आएगी।



सुन्हेड़ा गांव की असमां (21) जब केवल छह साल की थी तब उसके पिता अजीज की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मां महरुनिसां ने किसी तरह दूसरों के घर काम करके उसका पालन-पोषण किया, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह असमां की शादी धूमधाम से करके अपने मरहूम पति की अंतिम इच्छा को पूरी कर पाती।



ग्रामीणों को मरहूम अजीज की अंतिम इच्छा की जानकारी थी। असमां जब शादी के लायक हुई तब उन्होंने आगे बढ़कर उसके निकाह की जिम्मेदारी उठाई। असमां के लिए वर का चुनाव ग्रामीणों ने ही किया।



स्थानीय जयपाल तोमर करते हैं कि असमां के लिए अच्छा वर तलाशने की जिम्मेदारी गांव के वरिष्ठ लोगों पर थी। जयपाल ने कहा, "वैसे तो असमां के लिए कई रिश्ते आए पर हमें लगा कि पास के गांव में कपड़े की दुकान चलाने वाला मुश्ताक ही उसके लिए योग्य है। उसकी मां मेहरूनिसां से सलाह करने के बाद तकरीबन तीन महीने पहले शादी तय कर दी गई।"



आसमां की शादी पूरी तरह से मुस्लिम रीति-रिवाज से हुई। गांव के सरपंच महिपाल सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि करीब 800 लोगों ने शरीक होकर नव-विवाहित जोड़े को अपना आशीर्वाद दिया। असमां की शादी करने के अलावा ग्रामीणों ने उसे रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े ढेरों उपहार भी दिए।



उन्होंने कहा कि इस तरह की शादी केवल ग्रामीणों के अभूतपूर्व सहयोग से संभव हो सकती थी। शादी में आने वाले खर्च के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि यह बतलाना ग्रामीणों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना होगा, क्योंकि उनके लिए यह पैसे से कहीं ज्यादा भावनाओ से जुड़ा मामला था।



सिंह ने कहा, " मैं कहना चाहता हूं कि ग्रामीणों ने मिलकर इस शादी में खाने-पीने से लेकर साज-सज्जा और संगीत का बेहतरीन इंतजाम किया था। आमतौर पर शहरों में होने वाली शादियों से कमतर व्यवस्था नहीं थी।"

1 comment:

kya bharat me deshbhakto ki kami hai

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एक २२ साल का युवा जिसे देशभक्ति की सोच हासिल है तभी आर्मी ज्वाइन करने की चाह जगी लेकिन फिजिकल में असफल होने के बाद वापस पढ़ रहा है और अब एक नई सोच नेवी ज्वाइन करने की शोक लिखना ,पढना और सोच की गह्रइयो में ख़ुद को झोककर मोती निकाल लाना और इसमें सफल होने की चाह